आप के अशोक पप्पी 7वीं, कांग्रेस के राजा वड़िंग व अकाली दल के रणजीत ढिल्लों 10वीं और भाजपा के रवनीत बिट्टू 12वीं पास
दैनिक भारती (ब्यूरो) लुधियाना: अगर आप कहीं पर सरकारी या गैर-सरकारी नौकरी लेने जाते हैं तो सबसे पहले आपकी शिक्षा के बारे में पूछा जाता है और फिर बाद में आपके एक्सपीरियंस के बारे में और उसी के आधार पर आपकी पदवीं और तनख्वाह तय की जाती है। मगर केवल राजनीति ही एक ऐसा पेशा है जहां पर अँगूठा छाप या फिर पाँचवी पास नेता भी शिक्षा मंत्री बन सकता है। हमारे देश का दुर्भाग्य ही कुछ ऐसा है जहां पर नेताओं के चुनाव लड़ने के लिए उनकी शैक्षिक योग्यता कोई खास मायने नहीं रखती। अनपढ़ या कम पढ़े लिखे लोग नेता बनकर जहां हमारे देश की सरकार चलाते हैं वहीं कुछ ऐसे ही लोग अपना उद्योग चलाने के लिए अपने से कई गुना ज़्यादा पढ़े लिखे लोगों पर अपना रौब झाड़ते हुए अपने लिए नौकरियां करवाते है और साथ ही उनका भरपूर शोषण भी करते हैं। ऐसा ही एक उदाहरण लुधियाना से लोकसभा चुनाव लड़ रहे मुख्य पार्टियों के उम्मीदवारों का भी है।
लुधियाना से लोकसभा चुनाव लड़ रहे आम आदमी पार्टी के उम्मीदवार अशोक पराशर पप्पी 7वीं, कांग्रेस के उम्मीदवार अमरिंदर सिंह राजा वड़िंग 10वीं, अकाली दल के उम्मीदवार रणजीत सिंह ढिल्लों 10वीं और भाजपा के उम्मीदवार रवनीत सिंह बिट्टू 12वीं पास हैं और इनमें से ही कोई एक लुधियाना से लोकसभा की सीट जीतकर संसद में जाकर बैठेगा और आम लोगों की आवाज़ बन कर उनके गंभीर मुद्दों को उठाएगा।
अब आप खुद ही अंदाजा लगाएं कि जब इतने कम पढ़े लिखे लोग संसद में जाएंगे तो हमारे देश का आने वाला भविष्य कैसा होगा? आज यह सभी को पता है कि राजनीति एक ऐसा बिज़नेस बन चुका है कि जो कोई भी इसमें आता है उसकी सात पुश्ते बैठ कर खाती है क्योंकि इसमें आने के लिए किसी डिग्री की नहीं बल्कि अपने इलाके या फिर शहर में दबदबे की ज़रूरत होती है। राजनीति में लाल बत्ती वाली गाड़ियों में बैठ कर चार-चार, पांच-पांच गनमैन लेकर कोई जनता की सेवा करने के लिए नहीं बल्कि मेवा खाने के लिए आता है। बस वोट करते वक़्त इतना ज़रूर याद रखें कि आपका और आपकी आने वाली पीढ़ी का भविष्य सत्ता में आने वाले इन नेताओं के हाथ में भी आ जाता है जो खुद अपना और अपने परिवार का भविष्य बनाने के लिए राजनीति में कूद पड़ते है। आज के समय में अगर आप किसी भी नेता की ज़िंदगी की कुंडली को चेक करेंगे तो शायद ही कोई ऐसा नेता हो जो बदमाशी या फिर गुंडागर्दी में लिप्त न रहा हो और इसको लेकर कभी कोई एफआईआर दर्ज न हुई हो। हमारे देश में जब नौकरी पढ़ाई लिखाई और साफ छवि के दम पर मिलती है तो एक नेता को कुर्सी भी उसकी पढ़ाई लिखाई और साफ छवि के दमपर ही मिलनी चाहिए।