दैनिक भारती (ब्यूरो) दिल्ली: अगर आप भी एक रेल यात्री हैँ और अक्सर रेलवे में सफर करते रहते हैं तो यह खबर आपके लिये है। आपने अगर अपनी सीट की एडवांस में बुकिंग नहीं करा रखी है और फिर भी आपको बिना बुकिंग के आरक्षित सीट चाहिए तो आप जनरल टिकट लेकर सीधा ट्रेन के टीटीई के पास पहुंच जाते हैं और सीट खाली होने पर वह आपसे बनता अतिरिक्त किराया व अन्य शुल्क लेकर आपको सीट अलॉट भी कर देता है। मगर क्या आपको पता है के टीटीई (चल टिकट परीक्षक) द्वारा अपने टैब सिस्टम जिसको कि रेलवे की भाषा में HTT-TAB बोला जाता है जिसमें ट्रेन के टीटीई के पास ट्रेन की सीटों के आरक्षण का पूरा लेखा-जोखा होता है उस टैब के माध्यम से जो भी सीट आपको अलॉट की जा रही है क्या वाकई में वह सीट आपकी हो चुकी है। अब आप यह सोच रहें हैँ कि इसमें शक की गुंजाइश ही कहाँ बची है। मगर अगर आपको यह पता लगे के जो सीट आपको दी गई है वह रेलवे के क्रिस (CRIS) सिस्टम द्वारा पहले से ही किसी और के नाम पर आरक्षित है तो एक बार आप अपने आपको ठगा हुआ अवश्य महसूस करेंगे। कुछ ऐसा ही मामला मीडिया के समक्ष आया है जिसपर विश्वास करना बेहद मुश्किल हो जाता है क्योंकि इस मामले में एक टीटीई द्वारा इस पूरे कारनामे को भली-भांति अंजाम दिया गया है और आपको यह भी जानकर बेहद हैरानी होगी कि यह सब कुछ बिल्कुल ऑन रिकॉर्ड है और इससे एक बड़ा घोटाला भी निकलने की उम्मीद लगाई जा रही है। जिसका सबूत आप तस्वीरों के रूप में इस खबर में देख भी रहे होंगे। जाहिर सी बात है कि कोई भी टीटीई जब तक अपनी जेब को कथित तौर पर गर्म नहीं कर लेता तब तक उसके द्वारा किसी अनारक्षित यात्री को आरक्षित सीट देना तो बहुत दूर की बात है वह रेलवे के नियमों का हवाला देते हुए किसी भी आरक्षित डिब्बे में चढ़ने तक नहीं देता।
ऐसा ही एक ताजा उदाहरण उस वक्त देखने को मिला जब पहले से ही आरक्षित सीट को अवैध रूप से किसी दूसरे यात्री को आवंटित कर दी। जैसा कि आप इन उक्त तस्वीरों को देखकर अंदाज़ा लगा ही चुके होंगे कि एक ही ट्रेन में एक ही सीट को 2 अलग-अलग यात्रियों को लगभग सामान्य दूरी के लिए आवंटित कर दिया गया है।
हुआ कुछ यूँ कि सुनील कुमार नामक एक व्यक्ति ने रेलवे आरक्षण केंद्र के करंट काउंटर से दिनांक 8 अगस्त 2024 की यात्रा के लिए ट्रेन नंबर 22479 सरबत दा भला में पीएनआर नंबर 2547771117 के तहत जाखल से लुधियाना तक की टिकट आरक्षित करवाई जिसमें उसको ऐसी चेयर कार के कोच नम्बर C-1 में 25 नंबर की सीट आवंटित कर उसके नाम से आरक्षित कर दी गई। मगर जब वह इस ट्रेन में सफर के लिए चढ़ा तो उसे पता चला के उसकी इस सीट को उस ट्रेन में दिल्ली से चल रहे पुखराज मीणा नामक टीटीई ने पहले से ही किसी और को उसके चढ़ने से एक स्टेशन पहले ही जींद से जालंधर के लिये किसी मनीष नामक व्यक्ति को पीएनआर नंबर 00J5236570 के तहत अलॉट कर दी है जो की रोहतक से उसी ऐसी कोच में सामान्य श्रेणी की एक जनरल टिकट पर अवैध रूप से सफर कर रहा था। एक बार तो वह बड़ी ही सोच में पड़ गया कि रेलवे के हाई टेक रिज़र्वेशन सिस्टम में एक ही सीट को दो व्यक्तियों को कैसे अलॉट किया जा सकता है जबकि उसकी सीट आरक्षित व पूरी तरह से कन्फर्म थी? जब ऐसा करने वाले टीटीई पुखराज मीणा को यह पता लगा कि अब संबंधित यात्री इस बात को लेकर कोई नया बवाल खड़ा कर सकता हैं तो उसने रेल यात्री मनीष को सीट नम्बर 25 से 27 नंबर की सीट पर शिफ्ट कर दिया। इस पूरे प्रकरण का भंडाफोड़ तब हुआ जब इस ट्रेन में धुरी से टीटीई की ड्यूटी शिफ्ट चेंज हुई और उस ट्रेन की चेकिंग की कमान टीटीई पुखराज मीना के हाथोँ से निकलकर अमरिंदर सिंह नामक टीटीई के हाथों में आ गई। जब उसने इस गोलमाल को देखा तो वह खुद भी एक पल के लिए दंग रह गया और उसने इस पुरे गोलमाल की जानकारी अपने सम्बंधित सीनियर अधिकारीयों को दे दी।
यहाँ पर एक और बात बेहद हैरान कर देने वाली सामने आई कि पुखराज मीणा द्वारा अतरिक्त किराया टिकट संख्या 0523657 के तहत जो टिकट बनाई गई थी वह भी रेलवे के नियमों को पूरी तरह से ताक पर रख कर बनाई गई थी। क्योंकि अगर रेल आरक्षण से जुड़े रेलवे सूत्रों की मान कर चलें तो इस ट्रेन में फाइनल करंट बुकिंग चार्ट निकल जाने के बाद रोहतक से जालंधर तक की सीधी एक टिकट बनाई ही नहीं जा सकती क्योंकि इस ट्रेन में रोहतक, जींद व जाखल से करंट बुकिंग का फाइनल आरक्षण चार्ट निकलता है और उसी के हिसाब से ही टीटीई को सीटें खाली होने पर अन्य यात्रियों को नियमों के तहत ज़रूरत के मुताबिक आवंटित किया जाता है। रेलवे सूत्रों के मुताबिक टीटीई पुखराज मीणा ने सिस्टम की खामियों का नाज़ायज़ फायदा उठाते हुए एक गोलमाल के तहत इस प्रकार की गतिविधि को अवैध रूप से अंजाम दिया है। जबकि नियमों के मुताबिक यात्री मनीष की इस ट्रेन में एक नहीं बल्कि तीन अलग-अलग आरक्षित टिकट बननी थी जिसमे से पहली टिकट रोहतक से जींद, दूसरी टिकट जींद से जाखल व तीसरी टिकट जाखल से जालंधर तक की बनाई जानी थी और वो भी करंट बुकिंग का आरक्षण चार्ट देखने के बाद। मगर टीटीई पुखराज मीणा ने ऐसा क्यों और किस लालच में किया यह अपने आप में कई बड़े सवाल खड़े कर देता है और इस प्रकार का प्रकरण यह साफ दिखा रहा कि रेलवे के टीटीई किस प्रकार से सिस्टम की कमियों का नाज़ायज़ फायदा उठाकर उसके साथ अवैध रूप से खिलवाड़ कर दिन-ब-दिन कथित तौर पर मालामाल भी हो रहें है। क्योंकि अक्सर यह देखा गया है कि कई बार अनारक्षित (जनरल) टिकट पर यात्रा कर रहा यात्री मज़बूरी में किराए के इलावा टीटीई द्वारा मांगी गई मुँह मांगी रकम को देने के लिये तैयार भी हो जाता है।
इस पुरे प्रकारण के सम्बन्ध में जब मीडिया ने संबंधित सीटीआई इंचार्ज वेद प्रकाश से बात की तो उन्होंने दबी जुबान में इस बात की आधिकारिक पुष्टि कर दी कि टीटीई पुखराज मीणा द्वारा कहीं न कहीं रेलवे के सिस्टम की खामियों का फायदा उठाते हुए इस प्रकार के गोलमाल को अंजाम दिया गया है और उन्होंने दबी ज़ुबान में इस बात की भी पुष्टि कर दी कि टीटीई पुखराज मीणा द्वारा कथित तौर पर अपने किसी निजी आर्थिक स्वार्थ के लिये ही ऐसा किया गया है जो कि एक निंदनीय कार्य है और यह पूरा प्रकरण रेलवे के उच्च अधिकारीयों के पास जांच के लिये पहुँच भी चूका है।
अगर रेलवे के सूत्रों की मान कर चलें तो इस पुरे प्रकरण को लेकर रेलवे का विजिलेंस विभाग भी पुरी तरह से सक्रिय व चौकन्ना हो गया है और यहाँ तक के रेलवे के उच्च अधिकारीयों द्वारा टीटीई पुखराज मीणा की विभागीय जांच भी शुरू कर दी गई है और उसकी चल व अचल संपत्ति का भी आंकलन करने की तैयारी में जुट गई है। अब देखना यह है कि टीटीई पुखराज मीणा की तरह रेलवे के और ऐसे कितने ही टीटीई कथित तौर पर मासिक तनख्वाह के अतरिक्त सिस्टम की कमियों से खेलते हुए आर्थिक रूप से दिन दुगनी और रात चौगुनी तरक्की कर गोलमाल करने में जुटे हुए हैँ।