क्या देश की महिलाओं को मोदी सरकार से नहीं बल्कि गैस एजेसियों से मिला है रक्षा बंधन का पहला तोहफ़ा?
दैनिक भारती (ब्यूरो): 200 रुपये प्रति गैस सिलेंडर के दाम घटने से भले ही आम आदमी को एक बड़ी राहत ज़रूर मिली है मगर शायद आपको सुनकर यह हैरानी होगी कि 200 रुपये प्रति सिलेंडर का यह घाटा केंद्र सरकार के ख़ज़ाने को नहीं बल्कि उन गैस एजेंसियों को हुआ है जिन्होंने गैस कंपनियों से पुराने रेट पर घरेलू गैस सिलेंडर खरीद कर 1 से 2 दिन का स्टॉक अपने-अपने गोदामों में सप्लाई चेन को बरकरार रखने के लिए स्टॉक करके रखा हुआ था। मगर जैसे ही गैस कंपनियों द्वारा घरेलू गैस सिलेंडर की कीमतों में हुई कटौती को मंगलवार की मध्य रात्रि को लागू किया गया वैसे ही गैस एजेंसियों को एकाएक लाखों रुपए का फटका भी लग गया। प्राप्त हुई जानकारी के मुताबिक देश में लगभग 28000 गैस एजेंसियां लोगों के घरों तक गैस सिलेंडर पहुचाने का काम कर रहीं हैं और प्रत्येक गैस एजेंसी के पास 500 से 1500 गैस सिलेंडर स्टॉक के रूप में उनके गोदामों में अक्सर पड़ा रहता है तांकि अगर पीछे से कंपनी की तरफ से या फिर किन्ही अन्य कारणों की वजह से सप्लाई चेन 1 या फिर 2 दिन के लिए टूट जाए तब भी उनकी रोज़ाना की सप्लाई में कोई फर्क न पड़े और लोगों को गैस सिलेंडरों की सप्लाई में किसी प्रकार की दिक्कत न हो। प्रति सिलेंडर 10 से 50 रुपये का घाटा और मुनाफा तो गैस एजेंसियों को ऐसी घोषणाओं से अक्सर होता ही रहता है मगर एकाएक 200 रुपये प्रति गैस सिलेंडर का घाटा गैस एजेंसियों को पूरी तरह से न ग्वार गुज़रा है। अनुमान लगाया जा रहा है कि इस 200 रुपये प्रति सिलेंडर के घाटे की वजह से देश की लगभग 28000 गैस एजेसियों को करीब 10 हज़ार करोड़ रुपये का घाटा हुआ है जिसकी भरपाई ना तो अभी तक केंद्र सरकार ने की है और ना उनकी संबंधित गैस कंपनी ने। अगर कुल मिलाकर यूँ कहें कि 2024 के चुनावों से पहले देश की महिलाओं को रक्षा बंधन का पहला तोहफा मोदी सरकार ने नहीं बल्कि देश की उन गैस एजेसियों से मिला है जो आम जनता के घरों तक इस घरेलू गैस सिलेंडर की सप्लाई देती हैं तो यह कहना कतई गलत नहीं होगा। फ़िलहाल देश की सभी गैस एजेंसियां केंद्र सरकार की तरफ अब अपनी इस उमीद को लेकर टकटकी लगाएं बैठी है कि उनकी संबंधित गैस कंपनी या फिर शायद केंद्र सरकार उन्हें इसके बदले में किसी प्रकार की कोई राहत देकर उनके इस 200 रुपये प्रति सिलेंडर के घाटे की कहीं न कहीं से कोई पूर्ति करवा दे।