साथ में पढ़े: रात के वक़्त In Drive, Ola, Uber, Rapido की सुविधा यात्रियों के लिए क्यों है ज़्यादा सुरक्षित?
दैनिक भारती (ब्यूरो) लुधियाना: अगर आप रात के वक़्त लुधियाना रेलवे स्टेशन पर उतर कर In Drive, Ola, Uber, Rapido जैसी कार या फिर बाइक टैक्सी प्रोवाइड करवाने वाली इन प्राइवेट कंम्पनियों को छोड़ कर अपने थोड़े से पैसे बचाने के चक्कर में अपने स्तर पर कोई ऑटोरिक्शा या फिर कोई टैक्सी बुक कर अपनी मंज़िल या फिर अपने घर की ओर जाने की सोच रहें हैं तो ज़रा सावधान हो जाएं क्योंकि कहीं ऐसा न हो कि आप भी किसी ऐसे लुटेरों के धक्के चढ़ जाए जो कि हथियारों के बल पर आपसे आपका सारा कीमती सामान तो लूट ही लेंगे बल्कि इसके साथ-साथ आपका बैंक खाता भी खाली कर देंगे और साथ में यह भी हो सकता है कि उस वक़्त विरोध करने पर आपको अपनी जान से भी कहीं हाथ ही न धोना पड़ जाए। ऐसी ही एक घटना लुधियाना में दो युवकों के साथ घटित हुई है जिनमें से एक नामी कंपनी का मैनेजर है तो दूसरा एक अन्य निजी कंपनी के अच्छे पद पर कार्यत है। यह दोनों पढ़े लिखे नौजवान हमेशा की तरह स्टेशन से यह सोच कर निकले थे कि हर बार की तरह वह इस बार भी In Drive, Ola, Uber, Rapido जैसी निजी कंपनियों की एप्प से अपनी बाइक या फिर कार टैक्सी को बुक करेंगे और अपनी मंज़िल की ओर सकुशल निकल जाएंगे मगर अचानक ही इनके मन में कुछ पैसे बचाने के चक्कर में रात के वक़्त ऑटोरिक्शा से जाने का ख्याल आ गया और यहीं गलती इन दोनों नौजवानों को काफी महंगी भी पढ़ गई और इन्होंने कुछ पैसे क्या बचाने थे उल्टा पास में जो कुछ भी था वो सब कुछ ही लुटा बैठे।
अलग-अलग ट्रेनों से सफर करके आए यह दोनों युवक जब लुधियाना रेलवे स्टेशन पर सोमवार की सुबह के करीब 5 बज़े पहुंचे तो इन्होंने लुधियाना रेलवे स्टेशन के बाहर से ग्यासपुरा की ओर जाने के लिए एक ऑटोरिक्शा पकड़ लिया और जब यह दोनों ही युवक ऑटो में बैठे तो इनके मुताबिक एक लुटेरा सवारी बनकर पहले से ही ऑटो में बैठा हुआ था और चंद सेकंड बाद ही एक-एक कर तीन अन्य लुटेरे भी सवारी बन कर आए और ऑटो चलाने वाले लुटेरे के साथ सवारियों की तरह ही वर्ताव, बहस बाज़ी व किराए का मोलभाव करते हुए ऑटो में सवार हो गए। इन दोनों ही पीड़ित युवकों के मुताबिक उन्हें एक पल के लिए भी यह नहीं लगा कि इन दोनों के इलावा ऑटो चालक सहित बाकी सभी के सभी लोग कोई यात्री नहीं बल्कि लुटेरे हैं और यह सभी पांचों लुटेरे एक सुनियोजित ढंग से उन्हें एक मछली की तरह अपने जाल में फंसा कर आगे लेजाकर अपना शिकार बनाने वाले हैं। यहां तक कि दोनों ऑटो पर बैठने से पहले यह भी चेक करना भूल गए कि ऑटोरिक्शा की रेजिस्ट्रेशन नम्बर प्लेट लगी हुई है या नही। इन दोनों युवकों के मुताबिक सभी लुटेरे बात करने व दिखने में एकदम से पढ़े लिखे व एक सामान्य जेंटलमैन व्यक्ति की तरह ही दिख रहे थे।
लुधियाना के हैबोवाल इलाके में रहने वाले पीड़ित युवक मनोज कुमार व रंजीत के मुताबिक लुटेरे एक सुनियोजित तरीके से कई तरह के तर्क देते हुए व बहाने बनाते हुए शहर के मुख्य चौराहों से होते हुए दोनों को एक सूनसान जगह पर ले गए और फिर अपनी लूट के कार्यक्रम को अंजाम देना शुरू कर दिया। इन सभी लुटेरों ने अपने कपड़ों में पहले से ही छुपा कर रखी हुई एक पिस्तौल व अन्य तेजधार हथियार निकाले और इसके बल पर सबसे पहले उनसे उनके मोबाइल फ़ोन छीन लिए और उनसे उनके UPI का पिन, पासवर्ड व बैंक बैलेंस व डिटेल पूछने लगे और साथ ही साथ UPI से लिंक उनके बैंक खातों का बैलेंस भी क्रॉस चेक करने लगे। लुटेरों ने पीड़ित मनोज कुमार से करीब 50 हज़ार रुपये की नकदी, बैंक ATM एंव Credit Cards, मोबाइल व अन्य कीमती सामान भी लूट लिया और दूसरे युवक से भी उसका मोबाइल फोन, नकदी व ATM Cards व अन्य कीमती सामान लूट लिया और साथ ही बैंक डिटेल व पिन पासवर्ड पूछते हुए वहाँ से फरार हो गए। मगर इससे पहले कि लुटेरे मनोज कुमार के बैंक खाते से UPI के माध्यम से उसकी मेहनत की गाढ़ी कमाई को अपने अकाउंट में ट्रांसफर कर पाते मनोज ने अपने साथ हुई इस लूट की वारदात के बाद समय रहते ही सतकर्ता व अकलमंदी दिखाते हुए अपने सभी खातों से संबंधित बैंक के ग्राहक सेवा अधिकारी को घटना की जानकारी देते हुए अपने सभी बैंकों की UPI सर्विसेज को तुरंत ही निष्क्रिय करवा बंद करवा दिया जिसकी वजह से आरोपियों की सभी UPI ट्रांसक्शन फेल हो गई और वो और भी ज़्यादा वित्तिय नुकसान से बच गया। मनोज को इस बात का अगले दिन तब पता चला जब उसने किसी अन्य फोन पर अपना सिम स्वैप करके एक्टिवेट करवाया तो उसको उसके फोनेपे एप्प से अटैच्ड ईमेल पर UPI ट्रांज़ैक्शन फेल्ड के नोटिफिकेशन आए हुए थे जो कि किसी निखिल टेलीकॉम को ट्रांसफर करने की कोशिश की जा रही थी।
इस पूरी घटना में एक बात यह भी हैरान कर देने वाली थी कि लुटेरे इन दोनों ही यवकों को शहर के सुभानी बिल्डिंग, सीएमसी, सुफिया चौक, चीमा चौक व कैंसर हॉस्पिटल नामक जिन मुख्य चौराहों से गुज़रते हुए लेकर गए वहां पर न तो कोई PCR तैनात थी और न ही कोई पुलिसवाला गश्त कर रहा था। दोनों ही युवकों ने यह भी अंदेशा जताया कि उनके साथ जो यह लूट की वारदात हुई है कहीं न कहीं पुलिस के कुछ पुलिस मुलाज़िमों की भी मिलीभगत इन लुटेरों के साथ हो सकती है जो कि अपने आप में एक बहुत बड़ा जांच का विषय भी है क्योंकि घटना के बाद दोनों ही युवकों ने आसपास बेहद दूर तक कई मुख्य चौराहों पर पुलिस को ढूंढा मगर उन्हें कहीं भी कोई भी ड्यूटी पर गश्त करता हुआ नहीं मिला और थक हार कर उन्हें किसी तरह से थाने ही जाकर अपनी शिकायत देनी पड़ी और इसके लिए गेट बंद कर रखे गए थाने के अंदर दाखिल होने के लिए उन्हें सबसे पहले तो काफी जद्दोजहद करनी पड़ी और जब वह किसी तरह से थाने के अंदर पहुँचे तो हदबंदी का हवाला देकर इन दोनों ही पीड़ित युवकों को इधर से उधर भगाते रहे। प्राप्त हुई जानकारी के मुताबिक इनमें से एक युवक की शिकायत लुधियाना के थाना मोतीनगर में तो दूसरे की शिकायत थाना डिवीज़न नम्बर 07 में ली गई है और जांच व इन्वेस्टिगेशन अफसर की गैरमौजूदगी का हवाला देकर उन्हें अगले दिन आने को कहा गया है। जब कि दोनों के साथ लूट की वारदात एक ही जगह पर घटित हुई है। जिससे यह बात साफ ज़ाहिर हो रही है कि पुलिस लूट की इस वारदात को जल्द से जल्द हल कर लुटेरों को सलाखों के पीछे पहुचाने के लिए अभी बिलकुल भी मूड में नहीं लग रही हैं और इसमें यह भी कहना गलत नहीं होगा कि लुधियाना जैसी स्मार्ट सिटी में लॉ एंड आर्डर को मेन्टेन रखने का दम भरने वाली लुधियाना पुलिस अपराधियों के बुलंद हौंसलों के सामने अब हांफती हुई भी दिखाई दे रही है। अगर लुधियाना पुलिस थोड़ी सी सक्रियता दिखाए तो इन लुटेरों द्वारा UPI से की गई ट्रांसक्शन की मदद से बहुत ही कम समय में इनको पकड़ सकती है मगर बात फ़िर वहीं घूम-फिर कर आ जाती है कि अपराधियों के आगे बेबस व सुस्त हुई पुलिस को चुस्त बनाए तो बनाए कौन?