पढ़िये: “कर्ज़ा मुक्ति अभियान” के संचालक शाहनवाज चौधरी ने लोन रिकवरी माफिया का कैसे खोला कच्चा चिट्ठा!
जाने: आखिर फील्ड में रिकवरी के लिए जाने वाले ज़्यादातर एजेंटों को क्यों करवाया जाता है नशा!
यह भी जाने: आखिर ज़्यादातर बैंक व NBFC कंपनियां लोन रिकवरी के लिए क्यों नहीं खटखटाती है कोर्ट का दरवाजा और क्यों चूमते हैं थर्ड पार्टी रिकवरी एजेंसी की चौखट!
करजधारक कर्ज़ से नहीं बल्कि कर्ज़ न चुका पाने पर रिकवरी एजेंटों से प्रताड़ित हो कर रहें हैं आत्महत्यायें : शाहनवाज चौधरी
NCRB के मुताबिक पिछले 5 सालों में करीब 50 हज़ार और प्रत्येक वर्ष करीब 20 हज़ार से भी ज्यादा लोगों ने कर्ज़ के कारण की आत्महत्या!
समझें: सभी रिकवरी एजेंटों के लिए क्यों जरूरी है DRA सर्टिफिकेट/लाइसेंस और विजिट के लिए बैंक का Visiting या फिर Authorization लेटर?
थर्ड पार्टी रिकवरी एजेंसियों को बैंक व NBFC कंपनी लोन रिकवरी के लिए रेवड़ियो की तरह बांट देतीं है अपने करजधारकों का निजी व गोपनीय डाटा, कमीशन पर चलता है रिकवरी का यह पूरा खेल!
कभी बैंक का चीफ़ मैनेजर, कभी एडवोकेट तो कभी पुलिस अधिकारी बनकर थर्ड पार्टी रिकवरी एजेंट अक्सर करते हैं फ़ोन, डराने के लिए व्हाट्सएप या ईमेल पर भेजते है फ़र्ज़ी लीगल नोटिस!
अनधिकृत या नकली कमीशन बेस थर्ड पार्टी रिकवरी एजेंटो का समझे पूरा नेटवर्क और गाली-गलौज व धमकाने पर उनपर FIR दर्ज करवाना क्यों हैं बेहद ज़रूरी?
IDFC First बैंक व Bajaj Finance के रिकवरी एजेंट कानून तोड़ने और RBI की गाइडलाइंस की धज्जियां उड़ाने में निकले सबसे आगे!
फ़ोन पर या घर आ कर डराने-धमकाने व गाली गलौज करने वाली रिकवरी एजेंसी के एजेंट पर नकेल डालने के लिए IPC की धारा 499, 500 व CRPC Sec 107/116 के तहत FIR ज़रूर करवाएं दर्ज!
जानिए: बैंक व NBFC कंपनी की लोन रिकवरी एजेंसी व उनके रिकवरी एजेंटों के लिए क्या है RBI के नियम?
बड़ा स्वाल: EMI देने में असमर्थ करजधारकों के लोन एकाउंट को रिस्ट्रक्चर, रिफाइनेंस, Moratorium व लीन पीरियड की सुविधा जानबूझकर क्यों नहीं देते बैंक?
RBI नियमों के मुताबिक कोई भी बैंक या NBFC कंपनी किसी भी प्रकार के लोन या क्रेडिट कॉर्ड पर 2 प्रतिशत मंथली या 24 प्रतिशत से ज़्यादा नहीं वसूल सकती सलाना ब्याज!
क्यों नहीं लेना चाहिए एक ही बैंक से एक से ज़्यादा लोन? क्या है इसका नुकसान? ज़रूर पढ़ें!
दैनिक भारती ब्यूरो: अगर आपने भी किसी बैंक या फिर NBFC कंपनी से कोई क्रेडिट कार्ड या फिर किसी भी प्रकार का लोन ले रखा है और किसी जायज़ कारण से आप लोन की किस्तें या फिर क्रेडिट कार्ड का बिल चुकाने में असमर्थ हैं जिसकी वजह से रिकवरी एजेंट आपको लगातार फोन करके और या फिर आपके घर, दुकान, फैक्ट्री या फिर गोदाम पर आकर आपको या फिर आपके किसी दोस्त, रिश्तेदार या फिर परिचित को लगातार डरा-धमका कर परेशान कर रहे हैं तो फिर यह खबर आपके लिए है और यह खबर उन लोगों के लिए भी है जो आने वाले समय में किसी भी प्रकार का क्रेडिट कार्ड या फिर किसी भी प्रकार का लोन लेने की सोच रहे हैं। हो सकता है आप इस खबर को पढ़ने के बाद कोई भी क्रेडिट कार्ड या फिर कोई भी लोन लेने से पहले एक बार जरूर सोचेंगे।
लुधियाना के टिब्बा रोड इलाके में रहने वाले विजय कुमार नामक एक लोन रिकवरी एजेंट ने बड़े ही हैरान करके रख देने वाले अहम खुलासे किए हैं। इस लोन रिकवरी एजेंट ने मीडिया को जानकारी देते हुए यह बताया के एक लोन रिकवरी एजेंसी आखिरकार लोन के किश्तों की उगाही के लिए गुंडागर्दी या फिर बदमाशी कैसे करती या फिर करवाती है और साथ ही वह और कौन-कौन से हथकंडे अपनाती है? उसने अपनी ही एक रिकवरी एजेंसी पर बेहद गंभीर आरोप लगाते हुए बताया कि वह लुधियाना के पक्खोवाल रोड के नजदीक ग्रीन फील्ड इलाके में स्थित एचआरएच इंटरप्राइजेज नामक एक निजी लोन रिकवरी एजेंसी में रिकवरी एजेंट का काम करता था और उसे अपने घर के ही आस-पास के इलाकों में IDFC First Bank के उन ग्राहकों से रिकवरी करने का जिम्मा सौंपा गया था जिन्होंने वक़्त पर अपनी EMI’s नहीं भरी थी। मगर कुछ दिन पहले लोन रिकवरी के दिए गए टारगेट को पूरा ना कर पाने की वजह से जहां उसको 2 महीनों की तनख्वाह तक नहीं दी गई वही उसका मोटरसाइकिल, मोबाइल फोन और अन्य कीमती सामान को छीनते हुए उसके साथ बुरी तरह से मारपीट की गई और उसे इस शर्त पर मोटरसाइकिल और बाकी का अन्य सामान देने के लिए कहा गया कि वह उन लोगों से लोन के किस्तों की रिकवरी करके लाकर दे जिन्होंने अभी तक अपनी किश्तें उसके माध्यम से नहीं भरी है और तब तक बकाया किश्तों की यह सारी पेमेंट उसी के खाते में डाली जाएंगी और जिन लोगों की किश्ते वह रिकवर करके नहीं ला सका है वह किश्ते भी उसी की ही तनख्वाह से ही भरी जाएंगी। रिकवरी एजेंट ने आरोप लगाते हुए बताया कि इस रिकवरी एजेंसी ने उसे नौकरी पर रखते वक्त जहां उससे कुछ खाली स्टाम्प पेपरों पर साइन करवाएं थे वही उससे करीब 3 से 4 ब्लैंक चेक भी साइन करवा कर ले लिए गए थे। उसने बताया कि जब उसके साथ मारपीट की गई तब भी उससे जबरन कुछ खाली स्टांप पेपरों पर दोबारा से साइन करवा लिए गए। उसने बताया कि वह किसी तरह से अपनी जान बचाकर वहां से भाग निकला और घटना वाले दिन दिनांक 18.05.2023 को उसने लुधियाना के सिविल अस्पताल में अपना मेडिकल करवाते हुए इस पूरी घटना की एक लिखित शिकायत संबंधित थाने में भी दे दी मगर आज तक हुआ कुछ नहीं।
इस रिकवरी एजेंट ने खुलासा करते हुए बताया कि उसकी रिकवरी एजेंसी ने अपना दफ्तर एक घर में बनाया हुआ है जिसे बाहर से देखकर यह बिल्कुल भी अंदाज़ा नहीं लगाया जा सकता कि अंदर किसी रिकवरी एजेंसी का दफ्तर चल रहा है। उसने बताया कि इस दफ्तर में कंप्यूटर ऑपरेटर, फ़ोन कर ग्राहकों को धमकाने के लिए कुछ लड़कियां और फील्ड में उगाही के लिए भेजने के लिए कुछ लड़के रखे हुए हैं जिनमें से ज़्यादातर लड़के गुंडे-बदमाश टाइप के हैं। उसने बताया कि किसी भी रिकवरी एजेंट को फील्ड में रिकवरी करने के लिए भेजने से पहले उसे नशा करवाया जाता है जिसके लिए उसके रिकवरी के इस दफ्तर में हर प्रकार के नशे का खुलकर इस्तेमाल किया जाता है। रिकवरी करने के लिए जाने वाले लड़कों को उनका मनचाहा नशा परोसा जाता है तांकि जब वह फील्ड में लोन के किस्तों की रिकवरी के लिए जाए तो उनके दिलो-दिमाग में किसी भी प्रकार का कोई भी डर या फिर भय ना हो और ग्राहकों के साथ बदतमीजी, बदसलूकी, गुंडागर्दी, बदमाशी या फिर कर्ज़ धारक के साथ मारपीट करते वक्त उनको किसी भी प्रकार के आगामी अंजाम की कोई परवाह न रहे। उसने यह भी बताया कि इस रिकवरी एजेंसी को चलाने वाले मालिक खुद भी नशा करने के आदी है और हर वक़्त अपनी जेब में नशे के इलावा डराने-धमकाने के लिए एक चाकुनुमा तेजधार हथियार भी अपने पास रखते है।
रिकवरी एजेंट विजय कुमार ने जानकारी देते हुए बताया कि अक्सर लोन की किश्त न चुका पाने वाले ग्राहकों को संबंधित बैंक की ब्रांच का ही दफ्तर बता कर उन्हें धोखे से इस रिकवरी एजेंसी के दफ्तर में बुला लिया जाता है और फिर वहां पर उसे पूरे स्टाफ के सामने डराया, धमकाया व ज़लील किया जाता है और यहाँ तक कि उन्हें एक कमरे में कई-कई घंटों तक अकेले बंद करके बैठा दिया जाता है और गर्मी के दिनों में कइयों को तो चिलचिलाती धूप में घंटों बिठा कर रखा जाता है और ग्राहकों के मांगने पर उन्हें पानी तक नहीं दिया जाता। इसके साथ ही ग्राहकों को कई प्रकार की मानसिक यातनाएं दी जाती है और इसके इलावा अगर कोई ग्राहक अपने साथ अपना कोई वाहन इत्यादि लेकर गया होता है तो उससे उसकी चाभी और मोबाइल फोन तक छीन लिया जाता है और उससे यह कहा जाता है कि जब तक कर्ज़ धारक लोन की बकाया किश्तों की रकम का इंतज़ाम नहीं करता तब तक न तो उसे वहां से जाने दिया जाएगा और न ही उसका वाहन उसे वापिस किया जाएगा। रिकवरी एजेंट विजय ने बताया कि उसे अक्सर यह कहकर भेजा जाता था कि वो किसी न किसी बहाने से ग्राहक को अपनी रिकवरी एजेंसी के दफ्तर में लेकर आए तांकि कर्ज़ धारक ग्राहक को मानसिक तौर पर प्रताड़ित करके डरा धमका कर उस से किश्त की रकम को निकलवाया जा सके।
इस रिकवरी एजेंट की इन बातों की पुष्टि उन कर्ज़ धारक ग्राहकों ने भी की जिन्होंने इन सब चीजों का सामना किया हुआ है। बैंक या फिर NBFC कंपनी के रिकवरी एजेंटों या फिर रिकवरी माफिया से पीड़ित इन पीड़ित लोगों ने मीडिया को जानकारी देते हुए बताया कि उनके साथ रिकवरी माफिया के एजेंटों ने इस प्रकार बदतमीजी व बदसलूकी की के वह इन सब बातों से इतने ज्यादा दिमागी तौर पर परेशान हो गए कि एक पल के लिए वह आत्महत्या तक करने के लिए मजबूर हो गए। मगर फिर भी उन्होंने किसी प्रकार से खुद को संभाल लिया।
बैंक या फिर NBFC कंपनी से लोन लेने के बाद EMI को वक्त पर ना भर पाने के चलते रिकवरी एजेंटों से प्रताड़ित हो चुके ऐसे ही कुछ पीड़ित कर्ज़ धारक ग्राहकों ने अपनी बात मीडिया के साथ सांझा करते हुए अपने साथ हुए अन्याय के बारे में जानकारी दी। बैंक की रिकवरी एजेंसी के एजेंटों से पीड़ित ताजपुर रोड पर मनीष पान शॉप के नाम अपनी पान की दुकान चलाने वाले एक दुकानदार मनीष कुमार मिश्रा ने जानकारी देते हुए बताया कि उसके पिता IDFC First बैंक के पहले से ही एक अच्छे व पुराने कस्टमर थे और उनका ट्रैक रिकॉर्ड भी बहुत अच्छा था जिसकी वजह से उन्हें IDFC बैंक की तरफ से कॉल करके इसी साल 2023 के जनवरी महीने में पर्सनल लोन की पेशकश की गई और कुछ ही समय में IDFC बैंक ने अपनी सभी फॉर्मेलिटीज को पूरा करते हुए उसके पिता मदन मिश्रा के नाम पर लोन एकाउंट नंबर 85734468 के तहत करीब 1 लाख 79 हज़ार रुपये का लोन सैंक्शन करते हुए रकम को उनके खाते में डाल दिया।
कुछ समय तक तो सब कुछ ठीक चलता रहा और बैंक की किश्ते भी नियमित रूप से वक़्त पर जाती रही। मगर बीच में उसके पिता की तबीयत अचानक कुछ खराब हो गई और साथ ही कुछ अन्य पारिवारिक परेशानियां भी सामने आ गई जिसकी वजह से आर्थिक तंगी आ जाने के कारण उनकी कुछ किश्तें टूट गई। इसके बाद उनके पास बैंक के रिकवरी एजेंट्स की कॉल आनी शुरू हो गई और एक के बाद एक रिकवरी एजेंट उनको बार-बार कॉल करके और फिर लगातार घर या दुकान पर आकर तंग परेशान कर डराते व धमकाते रहे और पूरे मोहल्ले में बेज़्ज़त करते हुए लगातार यह दबाव भी बनाते रहे कि वह जल्द से जल्द अपनी किश्त को भरें वरना अंजाम अच्छा नहीं होगा। इसके बाद पीड़ित मनीष ने यह तय कर लिया कि वह किसी तरह से लोन की पूरी की पूरी रकम का इंतजाम करके इस लोन को ही बंद करवा देगा। जिसके लिए उसने रिकवरी एजेंट को बोल दिया कि वह अपना लोन ही बंद करवाना चाहता है मगर रिकवरी एजेंसी व उसके एजेंट ने चालाकी दिखाते हुए उसे रिकवरी एजेंसी के उस दफ्तर में बुला लिया गया जहां पर बैंक के ग्राहकों को टॉर्चर करके धक्केशाही के साथ कर्ज़ उगाही के इस पूरे खेल को अंजाम दिया जाता है।
मनीष ने जानकारी देते हुए बताया कि उसे लुधियाना के मॉडल ग्राम रेलवे फाटकों के पास स्थित ग्रीन फील्ड इलाके के एक घर में चलाई जा रही रिकवरी एजेंसी के दफ्तर को ही उसके उस बैंक की ब्रांच का दफ्तर बताया गया था जिस बैंक से उसने लोन ले रखा था। मनीष ने बताया कि जब वह लोन के फोरक्लोजर के लिए इस रिकवरी एजेंसी में पहुंचा जिसे वह अपने ही बैंक का एक दफ्तर समझ रहा था तो इस रिकवरी एजेंसी को चलाने वाले मुख्य संचालक ने उसे बड़े ही प्यार से बहला-फुसला कर दफ्तर में बुला लिया और फिर अंदर जाते ही सबसे पहले उसका मोबाइल फोन और उसकी गाड़ी की चाभी को छीन लिया गया और फिर उसके साथ गए उसके एक अन्य रिश्तेदार को बेइज्जत करते हुए बाहर ही बिठा दिया गया और फिर मनीष को एक कमरे में बंद कर दिया गया और उसे यह धमकाया गया के पहले वह अपनी टूटी हुई किश्तों के रकम की भरपाई करे फिर उसके बाद ही उसके पूरे लोन को बंद किया जाएगा। मनीष ने बताया कि उसे करीब 4 से 5 घंटे तक एक कमरे में बंद करके बिठा के रखा गया और उसे दिमागी तौर पर टॉर्चर करते हुए अन्य स्टाफ द्वारा काफी जलील किया गया और उससे आधार कार्ड की कॉपी लेते हुए एक खाली पेपर पर दस्तखत करवा लिए गए। उसके सामने ही रिकवरी एजेंट और दफ्तर के कुछ अन्य लोग सरेआम नशा कर रहे थे। मनीष ने बताया कि कोई सिगरेट में नशा भरकर पी रहा था तो कोई स्मैक। सभी नशे की मस्ती में पूरी तरह से मस्त थे। मनीष ने बताया कि जिस व्यक्ति ने उसे जबरन बंधक बनाया था उसने अपने पास एक पिस्तौल भी रखी हुई थी और वह उसे लगातार डराता और धमकाता रहा।
पीड़ित मनीष के मुताबिक जब उसने अपने साथ हो रही इस धक्केशाही की शिकायत पुलिस में करने की बात की तो रिकवरी एजेंसी के संचालक ने उसे धमकाते हुए कहा कि वो चाहे पुलिस के पास जाए या फिर किसी मंत्री के पास सबके साथ उसने पूरी सेटिंग कर रखी है और कोई भी उसका या फिर उसकी रिकवरी एजेंसी का कुछ भी नहीं बिगाड़ सकता। मनीष ने जानकारी देते हुए बताया कि उसे दिमागी तौर पर इतना परेशान कर दिया गया कि जब वह वहां से किसी तरह से रोते हुए वापस निकला तो उसे यह एहसास हुआ कि उसने लोन लेकर अपने जीवन की सबसे बड़ी गलती कर दी है और वक़्त पर किश्त न भर पाने पर मानों उसे एक अपराधी बना दिया गया हो। उसने बताया कि उसने किसी तरह से अपना लोन तो बंद करवा दिया मगर फिर भी वह काफी लंबे समय तक दिमागी तौर पर डिप्रेशन में रहा। उसे इतना डरा धमका दिया गया कि वह आपने साथ हुई धक्केशाही की शिकायत करने के लिए पुलिस के पास तक नहीं जा सका।
ऐसा ही एक और मामला लुधियाना के भामिया खुर्द में स्थित बाबा दीप सिंह नगर इलाके की डीपी कॉलोनी में रहने वाली शैली नामक महिला का है। बैंक के रिकवरी एजेंटों से पीड़ित इस दुखी महिला ने अपनी आपबीती सुनाते हुए बताया कि उन्होंने 9 जनवरी 2021 में IDFC First बैंक से लोन एकाउंट नम्बर 38803845 के तहत करीब 1 लाख 67 हज़ार रूपये का पर्सनल लोन लिया था जिसमें से उन्होंने मार्च 2023 तक करीब 1 लाख 36 हज़ार रुपये की रकम बैंक में किश्तों के रूप में जमा भी करवा चुके हैं मगर अब घरेलू समस्याओं और अन्य कई प्रकार की आर्थिक तंगी की वजह से वह अब बैंक की किस्तें समय पर नहीं भर पा रहे हैं जिसकी वजह से IDFC First बैंक के द्वारा भेजे जा रहे रिकवरी एजेंट आए दिन उनके घर पर आकर जहां उनके व उनके पति के साथ बदतमीजी, गाली गलौज और बदसलूकी करते हैं वहीं पूरे मोहल्ले के सामने उनकी बेज्जती करते हुए उन्हें पूरा ज़लील भी करते है और जब वह रिकवरी एजेंट की इन सभी बातों का विरोध करते है तो रिकवरी एजेंट अक्सर हाथापाई पर भी उतारू हो जाते हैं।
बैंक द्वारा भेजे गए सभी रिकवरी एजेंटों का अक्सर यह कहना होता है के वह उनके घर से तभी वापिस जाएंगे जब तक वह बैंक की टूटी गई किस्ते उन्हें नहीं दे देते। पीड़ित महिला शैली ने बताया के 1 महीने के अंदर बैंक द्वारा तीन से चार बार अलग-अलग रिकवरी एजेंटों को भेजा जाता है और फिर रिकवरी एजेंट अपनी सारी हदें पार करते हुए उन्हें किसी भी तरह से किश्त जमा करवाने के लिए प्रताड़ित करते है। उन्होंने बताया कि उन्हें मानसिक तौर पर इतना परेशान कर दिया गया कि एक बार तो उनका मन आत्महत्या तक करने के लिए मजबूर हो गया था। साथ ही उन्होंने बताया कि IDFC First बैंक द्वारा भेजे गए एक ऐसे ही रिकवरी एजेंसी के रिकवरी एजेंट की वीडियो उनके पारिवारिक सदस्यों द्वारा उस वक़्त बना ली गई जब वो रिकवरी एजेंट उन्हें डरा धमका कर पूरे मोहल्ले में उन्हें किश्त न जमा करवाने पर ज़लील कर बदसलूकी रहा था और जब उन्होंने उस रिकवरी एजेंट के खिलाफ पुलिस में शिकायत करने की बात कहीं तो रिकवरी एजेंट ने उन्हें धमकाते हुए कहा कि वह चाहे कहीं भी चले जाएं वह उनका कुछ नहीं बिगाड़ सकते क्योंकि पुलिस में उनकी पूरी सेटिंग हो रखी है।
पीड़ित महिला शैली ने बताया कि इसके बाद उसने अपने पति को साथ लेकर इस पूरी घटना की शिकायत IDFC First बैंक की फिरोज गांधी मार्केट में स्थित ब्रांच में जाकर संबंधित अधिकारियों से कई बार की मगर बैंक के अधिकारियों का यह कहना था के वह इस मामले में उनकी कोई भी मदद नहीं कर सकते और बैंक के अधिकारियों ने उन्हें कहा के अगर वह इन सब परेशानियों से बचना चाहते हैं तो वह जल्द से जल्द बैंक का पैसा बैंक में जमा करवा दें नहीं तो उनको यह परेशानियां आगे भी झेलनी ही पड़ेगी। पीड़ित महिला शैली ने बताया कि जब आईडीएफसी बैंक के कर्मचारियों ने उनकी कोई सुनवाई नहीं की तो वह मायूस होकर वापस घर लौट आए और इसके बाद उन्होंने निश्चय किया कि वह इस पूरे मामले की शिकायत पुलिस, RBI (Reserve Bank of India) और वित्त मंत्रालय से करेंगे और अगर हो सकेगा तो उक्त बैंक के खिलाफ कोर्ट में भी जाएंगे।
इस पूरे मामले के संदर्भ में देश में राष्ट्रीय स्तर पर “कर्ज़ा मुक्ति अभियान” के संचालक शाहनवाज चौधरी का कहना है कि हमारे देश में कर्ज़ के कारण बहुत ज्यादा लोग आत्महत्या कर रहे हैं और उनका कहना है कि ज्यादातर लोग कर्ज लेने की वजह से नहीं बल्कि वक़्त पर कर्ज ना चुका पाने पर बैंकों व NBFC कंपनी द्वारा भेजे गए रिकवरी एजेंटों द्वारा की जा रही बदसलूकी, गाली गलौज और यहां तक के कई केसों में मारपीट की वजह से भी आत्महत्या कर लेते है। कई बार रिकवरी एजेंट कर्ज़ धारक को समाजिक तौर पर इतना जलील कर देते हैं कि वह आत्महत्या करने के लिए मजबूर हो जाता है।
शाहनवाज चौधरी ने और अधिक जानकारी देते हुए बताया कि ज़्यादातर बैंकों व NBFC कंपनी की रिकवरी एजेंसियों के रिकवरी एजेंट कर्ज धारक की फ़ोन बुक लिस्ट को हैक कर लेते है और इसके बाद कर्ज़ धारक के रिश्तेदारों व दोस्तों को भी फोन करने लग जाते हैं और उन्हें यह बताते हैं कि उनके रिश्तेदार या फिर दोस्त ने संबंधित बैंक या फिर NBFC कंपनी से लोन लिया था जो अब वह वापस नहीं कर रहा है और कर्ज धारक ने रेफरेंस के तौर पर उनका नम्बर बैंक को दिया हुआ है। जबकि कुछ केस में यह भी देखने को मिला है कि कई साइबर अपराधियों ने इस तरह के तरीकों को अपना कर और मासूम लोगों को अपने झांसे में लेते हुए उनका नम्बर रेफरेंस से हटाने के बहाने से उनसे ओटीपी लेकर उनका बैंक खाता तक खाली कर दिया है। इसलिए लोगों को इससे भी सावधान रहने की ज़रूरत है।
शाहनवाज चौधरी के मुताबिक रिकवरी एजेंटो द्वारा ऐसा करना एक दंडनीय अपराध की श्रेणी में आता है और RBI के नियमों का सरासर उलंघन भी है। दोस्तों या फिर रिश्तेदारों को कॉल करने वाले ऐसे मामलों में कर्ज़ धारक को तुरंत रिकवरी माफिया के खिलाफ साइबर क्राइम सेल या फिर नज़दीकी थाने में ऑफलाइन या फिर ऑनलाइन के माध्यम से शिकायत ज़रूर दर्ज करवानी चाहिए। शाहनवाज चौधरी ने और अधिक जानकारी देते हुए मीडिया को बताया कि भारत सरकार के NCRB (National Crime Records Bureau) डाटा के मुताबिक पिछले 5 सालों में करीब 50 हज़ार से भी ज़्यादा कर्ज धारक व्यक्ति आत्महत्या कर चुके हैं और अभी हाल ही में पिछले साल जारी हुए आंकड़ों के मुताबिक करीब 20 हज़ार से भी ज्यादा लोग कर्ज़ के कारण आत्महत्या कर चुके हैं जो के एक सरकारी आंकड़ा है और यह आंकड़ा उतना सही नहीं है। क्योंकि, जितना आंकड़ा सरकार द्वारा दिखाया जा रहा है असल में यह आंकड़ा उससे भी कहीं ज्यादा बड़ा है और यह आंकड़ा अब दिन-ब-दिन बढ़ता ही जा रहा है जो कि हमारे देश की सरकारों के लिए एक गंभीर चिंता का विषय है।
भोपाल में लोन ऐप के झांसे में फंसे एक शख्स ने अपने पूरे परिवार सहित खुदकुशी कर ली. आत्महत्या करने वाले पति-पत्नी ने अपने बच्चों को जहर खिलाकर खुद फांसी लगा ली. आत्महत्या करने से पहले मृतक ने एक सुसाइड नोट भी छोड़ा है. पुलिस फिलहाल मामले की जांच कर रही है.
शाहनवाज चौधरी ने लोगों को जागरूक होने की अपील की और उन्होंने जानकारी देते हुए बताया कि आज का समय सोशल मीडिया का समय है और अगर किसी भी कर्ज धारक के पास कोई भी रिकवरी एजेंट या फिर रिकवरी माफिया का कोई भी गुंडा-बदमाश आता है तो सबसे पहले उसकी वीडियो बनानी शुरू करें और फिर उसके बाद ही उससे कोई भी बात शुरू करें और अगर वह फिर भी बदतमीजी, गाली-गलौज या फिर मार-पिटाई करने की कोशिश करता है तो उसकी वीडियो बनाकर संबंधित बैंक या संबंधित NBFC कंपनी, RBI, वित्त मंत्रालय और स्थानीय पुलिस को ट्विटर, इंस्टाग्राम, फेसबुक पर टैग कर शेयर ज़रूर करें ताकि पूरी जनता को पता चल सके कि रिकवरी माफिया द्वारा भेज गया वह रिकवरी एजेंट किस बैंक या फिर NBFC कंपनी के रिकवरी एजेंसी का रिकवरी एजेंट है ताके उस पर जल्द से जल्द एक्शन हो सके और संबंधित बैंक, NBFC कंपनी और उसकी रिकवरी एजेंसी पर भी कानूनी कार्रवाई करवाने में आसानी हो और यही काम कर्ज़धारक बार-बार कॉलिंग कर धमकियां देने वाली महिलाओं या फिर पुरूष रिकवरी एजेंट के साथ करें। उनकी फ़ोन कॉल को रिकॉर्ड कर उनके कॉलिंग नम्बर के साथ संबंधित बैंक या संबंधित NBFC कंपनी, RBI, वित्त मंत्रालय और स्थानीय पुलिस को ट्विटर, इंस्टाग्राम, फेसबुक पर टैग करें और साथ ही पुलिस के पास भी इसकी एक ऑनलाइन या फिर ऑफ़लाइन शिकायत ज़रूर दर्ज करवाएं।
उन्होंने कहा कि जो भी रिकवरी एजेंट कर्ज़ धारक के घर, दफ्तर, दुकान, गोदाम पर आता है तो उस एजेंट या कर्मचारी का आई कार्ड जरूर चेक करें कि वह किस बैंक, NBFC कंपनी या फिर किस रिकवरी एजेंसी से आया है और उसके बाद उस रिकवरी एजेंट को अपना DRA (Debt Recovery Agent) का सर्टिफिकेट/लाइसेंस दिखाने को ज़रूर बोलें। क्योंकि जिस प्रकार से बिना ड्राइविंग लाइसेंस के कोई भी व्यक्ति वाहन नहीं चला सकता या फिर बिना आर्म लाइसेंस के कोई भी व्यक्ति अपने पास बंदूक या हथियार नहीं रख सकता, ठीक उसी प्रकार से DRA सर्टिफिकेट/लाइसेंस को लिए बिना कोई भी महिला या फिर पुरूष रिकवरी एजेंट ना तो कर्ज़ धारक को बकाया कर्ज़ चुकाने के लिए फ़ोन कॉल कर सकता है और ना ही कर्ज़ धारक के घर, दफ्तर, दुकान, गोदाम पर रिकवरी के लिए आ सकता है।
उन्होंने RBI द्वारा जारी की गई गाइडलाइंस का हवाला देते हुए कहा कि जो भी रिकवरी एजेंट, बैंक या NBFC कंपनी का कर्मचारी कर्ज़ा धारक के घर, दफ्तर, दुकान, गोदाम पर आता है तो उसके पास संबंधित बैंक या फिर NBFC कंपनी का विजिटिंग लेटर भी होना बेहद जरूरी है क्योंकि बिना विजिटिंग लेटर के कोई भी रिकवरी एजेंट या फिर बैंक या NBFC का कर्मचारी आपके पास आपके घर, फैक्टरी, दुकान गोदाम में नहीं आ सकता। यहां तक कि कर्ज़ धारक की अनुपस्थिति में भी कोई भी रिकवरी एजेंट या बैंक, NBFC कंपनी का कर्मचारी कर्ज़ धारक के घर, दफ्तर, दुकान, गोदाम पर नहीं आ सकता। RBI के नियमों के मुताबिक कोई भी रिकवरी एजेंट, बैंक या फिर NBFC कंपनी का कर्मचारी कर्ज़ धारक के घर, दफ्तर, दुकान, गोदाम पर सुबह 8 बज़े से पहले और शाम को 7 बज़े के बाद न तो कॉल कर सकता है और न ही कोई विजिट कर सकता है। यहां तक कि रिकवरी एजेंट को आने से पहले उसको कम से कम 2 बार फोन करके करजधारक को सूचित करना होगा और जब कर्ज़ धारक अपने घर, दफ्तर, दुकान, गोदाम पर स्वयं उपस्थित होगा तभी वह कर्ज़ धारक के पास आ सकता है और वह भी बहुत ही सही ढंग व सलीके से बात करेगा, ना कि बदतमीजी, गाली-गलौज या फिर करजधारकों की मान प्रतिष्ठा को हानि पहुंचाएगा। यहां तक कि बिना कर्ज़ धारक की अनुमति के कोई भी रिकवरी एजेंट उसके घर, दफ्तर, दुकान, गोदाम के अंदर दाखिल भी नहीं हो सकता। ज़्यादातर बैंक व NBFC कंपनी कर्ज़ा धारक को SMS या फिर ईमेल के माध्यम से यह सूचित भी करती है कि उनकी कौन सी रिकवरी एजेंसी से कौन सा व्यक्ति या एजेंट विज़िट के लिए आ रहा है। ऐसा नहीं है कि बैंक या NBFC कंपनी का कोई भी कर्मचारी या फिर कोई भी थर्ड पार्टी रिकवरी एजेंट सीधा करजधारक के दफ्तर, मकान, दुकान, फैक्टरी या गोदाम पर पहुँच जाएगा। क्योंकि कई मामलों में बैंक या NBFC कंपनी को उस वक़्त मुकरते हुए देखा गया है जब उनकी रिकवरी एजेंसी के रिकवरी एजेंट पर आपराधिक मामला दर्ज कर कानूनी कार्रवाई को अंजाम दिया गया है।
उन्होंने सिंतबर 2022 में हुई ऐसी ही एक घटना का उदाहरण देते हुए बताया कि झारखंड के हज़ारी बाग के रहने वाले मिथलेश मेहता नामक एक किसान ने कोटक महिंद्रा फाइनांस कंपनी के माध्यम से 2018 में एक ट्रैक्टर ख़रीदा था जिसकी व लगातार किश्तें भी चुका रहे थे। मगर जब वह किन्ही करणों की वजह से बैंक की EMI नहीं चुका पाए तो बैंक के थर्ड पार्टी रिकवरी एजेंट उनके घर ट्रैक्टर रिकवर करने के लिए पहुंच गए। उनकी 27 साल की गर्भवती बेटी मोनिका ने जब उन्हें रोकने की कोशिश की तो रिकवरी एजेंट ने उसके ऊपर ट्रैक्टर का टायर चढ़ा दिया जिससे उसकी मौत हो गई और जब यह मामला मीडिया में उछला तो बैंक इस बात से ही एकदम साफ़ मुकर गया कि उनका उस थर्ड पार्टी रिकवरी एजेंट से कोई लेना-देना है। जिसके बाद आरोपी रिकवरी एजेंट अब जेल में बंद हैं।
अगर कोई रिकवरी एजेंट, बैंक, NBFC कंपनी का कर्मचारी या फिर रिकवरी एजेंट रिकवरी के नाम पर बदतमीजी, बदसलूकी, गाली गलौज, मार पिटाई करता है और यहां तक कि कर्ज़धारक के घर के बाहर आकर ऊंची आवाज में बात कर समाज में कर्ज़ धारक की मान प्रतिष्ठा को ख़राब करने की कोशिश करता है या फिर कोई भी महिला या फिर पुरूष रिकवरी एजेंट फ़ोन करके डराता, धमकाता या फिर बदतमीज़ी, गाली गलौज के साथ बात करके आपके मान-सम्मान को ठेस पहुचता है तो उसके खिलाफ पीड़ित कर्ज़ धारक अपने नजदीकी पुलिस थाने में आईपीसी की धारा 499, 500 के तहत FIR या फिर मुकदमा दर्ज करवा सकता हैं जिसमें करीब 2 साल की सजा का प्रावधान है। यहां तक कि संबंधित बैंक या NBFC कंपनी पर कोर्ट में मानहानि का केस भी कर सकता है।
देश में लोन रिकवरी एजेंसियों के बारे में और अधिक खुलासा करते हुए शाहनवाज चौधरी ने बताया कि ज़्यादातर रिकवरी एजेंसियां बैंकों या फिर NBFC कंपनियों के कर्मचारियों द्वारा ही चलाई जा रहीं हैं जो अपने किसी यार-दोस्त, पारिवारिक सदस्य या फिर रिश्तेदारों के नाम पर रिकवरी एजेंसी बना लेते हैं। क्योंकि लोन रिकवरी में उनको एक मोटा कमीशन मिल जाता है जो बाद में आपस में बांट लेते हैं। शाहनवाज चौधरी ने बताया के रिकवरी एजेंसी चलाने वाले लोग ज्यादातर सांसद, विधायक और पुलिस के साथ सेटिंग करते हुए लगातार उनके संपर्क में रहते हैं क्योंकि रिकवरी एजेंसी चलाने वालों को यह अच्छी तरह से पता होता है कि कर्ज़ को वसूलने के लिए उनके द्वारा कानून का खुल कर उल्लंघन किया जाएगा और RBI की गाइडलाइंस की धज्जियां भी उड़ाई जाएगी। ऐसे में किसी भी दंडनात्मक कानूनी कार्रवाई से बचने के लिए इस प्रकार की सेटिंग का होना उनके लिए बेहद ज़रूरी हो जाता है। लेकिन जो जागरूक कर्ज़ धारक ग्राहक होता है वह उच्च स्तर के पुलिस अधिकारियों के साथ संपर्क साधता है, RBI को उनकी वेबसाइट cms.rbi.org.in के माध्यम से अपनी शिकायत देता है, यहां तक के वित्त मंत्रालय तक को बैंक या NBFC कंपनी की रिकवरी एजेंसी की करतूतों से अवगत करवाता है ताकि उसके साथ कोई अन्याय या फिर कोई धक्केशाही ना हो सके।
इसी के साथ ही शाहनवाज चौधरी ने यह भी जानकारी दी के बैंक के पास यह भी आधिकारिक पावर होती है कि जब कर्ज़ धारक ग्राहक किन्ही कारणों की वजह से अपने लोन की EMI’s देने में सक्षम नहीं है तो बैंक उस लोन को रिस्ट्रक्चर या फिर रिफाइनेंस कर सकता है और या फिर कर्ज़ धारक को कुछ समय के लिए सिर्फ और सिर्फ ब्याज ही भरने की सुविधा दे सकता है और यहां तक कि कर्ज़ धारक को बैंक एंव NBFC कंपनी की तरफ से एक लीन पीरियड भी दिया जा सकता है ताकि कर्ज़ धारक का लोन खाता खराब ना हो सके।
उन्होंने बताया कि अगर कोई कर्जा धारक वक्त पर अपनी EMI’s नहीं दे पा रहा तो वह अगर 3 महीने के अंतराल में अपने लोन खाते में कुछ ना कुछ जमा करवा रहा है जो कि उस वक़्त के बन रहे ब्याज से अधिक है तो बैंक उसके लोन खाते को NPA नहीं कर पाएगा जिससे उसका खाता NPA होने से बच जाएगा।
शाहनवाज चौधरी ने यह भी जानकारी दी के रिकवरी माफिया का एक बहुत बड़ा Nexus है जिसमें गुंडे-बदमाश, बड़े-बड़े पॉलिटिशन और यहां तक कि पुलिस के कुछ आला अधिकारी भी शामिल होते हैं जिससे रिकवरी माफिया को पूरा बल मिलता है तांकि वह जहां भी रिकवरी करने के लिए जाए वहां पर अपनी पूरी बदमाशी या फिर गुंडागर्दी का खुलकर इस्तेमाल कर सकें। उन्होंने बताया कि बैंक या NBFC कंपनी की रिकवरी एजेंसी कुछ ऐसे नशेड़ी गुंडे बदमाशों को हायर कर लेती है जो अपने इलाके में पूरा दबदबा रखते है और अपने इलाके में रहने वाले किसी भी करजधारक व्यक्ति से किसी न किसी तरह से बैंक या फिर NBFC कंपनी का पैसा निकलवा कर दे सकते हों। उन्होंने बताया कि बैंक या फिर NBFC कंपनियां अपना डाटा कई ऐसी रिकवरी वालों के साथ भी शेयर कर देता है जो कि किसी भी प्रकार की रिकवरी करने के लिए ऑथराइज ही नहीं होती हैं और वह लोगों को लगातार कॉल करके परेशान करते रहते हैं। अगर बैंक या फिर NBFC कंपनी से किसी महिला ने लोन ले रखा है तो उसे पुरूष रिकवरी एजेंट कॉल करता है और अगर किसी व्यक्ति ने लोन ले रखा है तो उनको महिलाएं कॉल करती हैं और उनके साथ बदतमीजी या फिर गाली गलौज के साथ बात करती हैं।
साथ ही उन्होंने यह भी जानकारी देते हुए बताया कि RBI के नियमों के मुताबिक कोई भी बैंक या NBFC कंपनी 24 प्रतिशत से ज़्यादा सलाना ब्याज नहीं ले सकती जबकि कई बैंक और NBFC कंपनियां साल का 36% से भी ज्यादा ब्याज वसूल रही हैं जो के आरबीआई नियमों के मुताबिक पूरी तरह से अवैध है। शाहनवाज चौधरी ने बताया कि ज़्यादातर बैंक व NBFC की रिकवरी एजेंसीज आरबीआई के नियमों की धज्जियां उड़ाने में लगे हुए हैं और कानून को अपने हाथ में लेकर रिकवरी के धंधे में लगी हुईं हैं। यहां तक कि कोई भी रिकवरी एजेंसी या रिकवरी एजेंट आरबीआई के नियमों का पालन नहीं कर रहा हैं क्योंकि उनकी “कर्ज़ा मुक्ति अभियान” की टीम के पास ऐसे हजारों लोगों की फ़ोन कॉल्स आ रही हैं जिसमें रिकवरी एजेंटों द्वारा कर्जदार को जहाँ लगातार फ़ोन कॉल्स कर मानसिक प्रताड़ना दी जा रही है वहीं करजधारक के साथ मारपीट कर उन्हें लगातार प्रताड़ित किया जा रहा है जिसके संबंध में उन्होंने RBI से शिकायत कर ऐसी कई रिकवरी एजेंसियों को बंद भी करवाया है। शाहनवाज चौधरी ने मीडिया के माध्यम से अपील करते हुए भारत सरकार से यह मांग की है कि भारत सरकार ख़ासकर कर्ज़ा धारकों के लिए एक ऐसा हेल्पलाइन नंबर जारी करें कि अगर किसी भी कर्ज़ धारक ग्राहक के साथ कोई भी बैंक या फिर NBFC कंपनी का कर्मचारी या फिर रिकवरी एजेंट बदतमीजी, गाली गलौज या फिर किसी प्रकार की मार पिटाई करता है या फिर सामाजिक तौर पर करजधारक की मान प्रतिष्ठा की ठेस पहुंचाता तो करजधारक तुरंत उस नंबर पर इसकी जानकारी देते हुए अपनी शिकायत दर्ज करवाई ताकि वक्त रहते ही उसको सरकार की तरफ से हर वह संभव मदद मिल सके जो उसको वास्तव में मिलनी चाहिए और यह भारत सरकार का एक दायित्व भी बनता है कि वह हमारे देश की जनता की हिफाजत करें। शाहनवाज चौधरी ने कहा आरबीआई को देश की आम जनता के बीच में एक पारदर्शिता लानी चाहिए क्योंकि ज़्यादातर लोगों को वही नियम पता चलते हैं जो बैंक कर्मचारी खुद बताते हैं जो कि आधी अधूरी होती है और करजधारक या फिर बैंक के ग्राहक को सही नियम नहीं बताते तांकि ग्राहक अपने उन अधिकारों का इस्तेमाल कर उसका फायदा न ले सके और बैंक या फिर NBFC कंपनी अपनी मनमानियों को जारी रख सकें।
ज़्यादातर लोग बैंक एम्पलाई द्वारा दी गई जानकारी को ही सच अथवा सही मान लेते हैं और उसको कहीं से भी क्रॉस चेक नहीं कर पाते क्योंकि हर एक व्यक्ति RBI की वेबसाइट पर जाकर ज़रूरत के मुताबिक जानकारियां इक्कठी नहीं कर पाता। उन्होंने कहा कि आरबीआई को भी अपना एक हेल्पलाइन नंबर जारी करना चाहिए ताकि जब भी किसी व्यक्ति या ग्राहक को आरबीआई के किसी भी नियम की जानकारी लेनी हो तो वह सीधे उस नंबर से संपर्क कर जानकारी को हासिल कर सकें। शाहनवाज चौधरी ने कहा कि पूरे देश में रिकवरी माफिया का एक जाल बिछा हुआ है और इनका पुलिस, पॉलिटिशियन और नामी गुंडों के साथ एक ऐसा नेटवर्क जुड़ा हुआ जिसे तोड़ पाना इतना आसान काम नहीं है लेकिन वह फिर भी अपने स्तर पर पूरी कोशिश कर रहे हैं कि वह किसी भी करजधारक के साथ किसी प्रकार की धक्केशाही ना होने दें और कोई भी पीड़ित व्यक्ति कर्ज न चुका पाने के कारणों की वजह से आत्महत्या ना कर सके क्योंकि उसने बैंक या फिर NBFC कंपनी से लोन लेकर कोई गुनाह नहीं किया है।
शाहनवाज चौधरी ने यह भी जानकारी दी कि ज़्यादातर बैंक या फिर NBFC कंपनी पहली किश्तों में सबसे पहले अपना व्याज वसूलती है और बाद में प्रिंसिपल इक्कट्ठा करती है तांकि अगर कोई लोन खराब हो भी जाए तो प्रिंसिपल अमाउंट में सेटलमेंट कर अपने वितीय नुकसान की बचा सके। उन्होंने जानकारी देते हुए बताया रिकवरी माफिया के पीछे विधायक और सांसदों की पूरी सपोर्ट रहती है क्योंकि उन्होंने देश के 543 सांसदों को करजा मुक्ति के संबंध में पत्र भेजकर कर्ज़ माफी के समर्थन के बारे में पूछा था जिसमें से केवल 6 सांसदों ने उनके पत्र का जवाब देते हुए यह कहा कि जो लोग विलफुल डिफॉल्टर नहीं है उनका कर्जा माफ होना चाहिए। इसके साथ ही उन्होंने लोगों को जागरूक करते हुए बताया कि जब भी किसी करजधारक को यह आभास हो जाए कि उसकी आने वाली स्थिति खराब है वह अपनी आगामी EMI’s नहीं दे पाएगा तो उसे तुरंत ही संबंधित बैंकों या फिर NBFC कंपनी को उसके ई-मेल पर या फिर स्पीड पोस्ट के माध्यम से डाक भेजते हुए पत्र के जरिए अपनी स्थिति के बारे में सूचित कर देना चाहिए। हालांकि भले ही कोई बैंक या फिर NBFC कंपनी करजधारक की कोई मदद न करें लेकिन कर्जदार की यह जिम्मेदारी बनती है कि वह अपनी मौजूदा स्थिति के बारे में बैंक को इनफॉर्म जरूर करें ना के किश्तें टूट जाने के बाद बैंक को बताएं और अगर बैंक कोई मदद देने से इनकार करता है इसकी जानकारी आरबीआई को भी ईमेल या फिर पत्र के माध्यम से जरूर दें या उनके पोर्टल पर अपनी शिकायत दर्ज करें। क्योंकि जब बैंक रिकवरी के नामपर करजधारक के साथ बदतमीजी या बदमाशी करेगा या फिर कोर्ट में केस करेगा तो अदालत भी करजधारक की बात को गंभीरता से सुनते हुए उसे बनता हुआ न्याय ज़रूर देगी।
शाहनवाज चौधरी का कहना है कि कोई भी करजधारक कर्ज़ न चुका पाने और रिकवरी एजेंटो या रिकवरी माफिया द्वारा परेशान किये जाने की वजह से खुद को कोई भी नुकसान न पहुचाए बल्कि एक बार उनसे या उनकी टीम से संपर्क ज़रूर करे और उनके द्वारा चलाये जा रहे “कर्ज़ा मुक्ति अभियान” के साथ जुड़े तांकि करजधारकों की समस्या को बिना कोई भी पैसा खर्च किये RBI और वित्त मंत्रालय तक पहुचाई जा सके जिससे उनका कर्ज़ा माफ करवाया जा सके। उन्होंने कर्ज़ धारकों को यह भी सुचेत किया कि जब भी कोई रिकवरी एजेंट आपको यह बोले के आप उनके दफ़्तर में आकर बात कर लें तो उनके किसी भी दफ्तर में बिल्कुल भी न जाएं क्योंकि ऐसा करने से आप खुद को किसी नई मुसीबत में डाल लेंगे बल्कि संबंधित बैंक की वेबसाइट से यह सुनिश्चित कर लें के जिस दफ्तर में रिकवरी एजेंट आने को बोल रहा है वह किसी रिकवरी एजेंसी का दफ्तर है या बैंक की ही कोई ब्रांच है। नहीं तो रिकवरी माफिया आपको अपने दफ़्तर बुलाकर आपके साथ गाली गलौज या फिर दुर्व्यवहार भी कर सकता है। इसलिए करजधारकों को हमेशा सिर्फ़ और सिर्फ अपने बैंक की उसी ब्रांच में जाएं जिसके बारे में उनको पूरी जानकारी न हो और कभी भी अकेले न जाएं। क्योंकि करजधारकों ने लोन बैंक से लिया होता है न कि किसी रिकवरी एजेंसी से इसलिए करजधारकों को हमेशा अपने संबंधित बैंक से ही अपना तालमेल रखना चाहिए।
इसके साथ ही शाहनवाज चौधरी ने एक बेहद खास जानकारी देते हुए बताया कि कभी भी एक बैंक से एक से अधिक लोन कभी नहीं लेना चाहिए क्योंकि जब तक आपकी आर्थिक स्थिति ठीक रहेगी और आप नियमित रूप से लोन को लौटते रहेंगे तब तक तो सब ठीक ठाक रहेगा मगर अगर कहीं आपकी आर्थिक स्थिति ख़राब होने के कारण या फिर किन्ही अन्य कारणों की वजह से आपकी किस्तें बाउंस हो गई और आपका एक ऋण खाता NPA हो गया तो वहीं बैंक आपके सभी लोन खातों को NPA करार देकर आपके अच्छे खासे CIBIL को पूरी तरह से खराब कर देगा भले ही आपके बाकी के सभी ऋण खाते सही चल रहे हैं और उनकी एक भी क़िस्त कभी भी बाउंस नहीं हुई है। उन्होंने उदाहरण देते हुए बताया कि मानों किसी करजधारक ने एक ही बैंक से पर्सनल लोन, बिज़नेस लोन, होम लोन, कार लोन, गोल्ड लोन, सीसी लिमिट, क्रेडिट कार्ड या फिर अन्य किसी भी प्रकार का लोन ले रखा है तो उसे थोड़ा सतर्क रहने की ज़रूरत है। क्योंकि मान लीजिए अगर किन्हीं कारणों की वजह से वह अपने किसी एक लोन की किस्तें नहीं चुका पाता और उसका वह खाता NPA हो जाता है तो बैंक उसके तमाम ऋण खातों को NPA की श्रेणी में डाल देगा और CIBIL में भी उसके सभी ऋण खाते NPA की तरह ही दिखाई देंगे फिर चाहे भले ही करजधारक ने अपने बाकी के ऋण खातों की EMI वक़्त पर ही क्यों न भरी हों। इसलिए एक ही बैंक से एक से ज़्यादा प्रकार के लोन कभी भी भूलकर भी नहीं लेने चाहिए।
अगर लोन रिकवरी एजेंसी या फिर रिकवरी माफिया से जुड़े सूत्रों व अन्य करजधारक ग्राहकों की मानकर चलें तो लगभग सभी प्रकार के बैंक व NBFC कंपनी अपने कर्ज़ की वापिस रिकवरी के लिए तरह-तरह के हथकंडे अपनाती हैं मगर IDFC First बैंक अथवा Bajaj Finance Limited नामक NBFC कंपनी अपनी रिकवरी एजेंसी के रिकवरी एजेंट या फिर रिकवरी माफिया के माध्यम से अपने करजधारक ग्राहकों को परेशान करते हुए RBI के रिकवरी नियमों व उनकी सभी प्रकार की गाइडलाइंस को ताक पर रख कर खुल कर हमारे देश के कानून की धज्जियाँ उड़ा रहें हैं और अपने दिए गए कर्ज़ के पैसों को रिकवर करने के लिए या यूं कहें कि वसूल करने के लिए किसी भी हद तक जाने के लिए हमेशा तैयार बर तैयार रहते है। जिसका ज़्यादातर उदाहरण हमें ट्विटर जैसी सोशल मीडिया साइट पर भी अक्सर देखने को मिलता रहता है।
अब वित्त मंत्रालय और RBI को इस संबंध में कड़े कदम उठाने की बहुत सख़्त ज़रूरत है नहीं तो न जाने कितने लोग रिकवरी माफिया के डर से परेशान होकर आत्महत्या कर अपनी कीमती जाने गवां देंगे। बैंक या फिर NBFC कंपनियां अपने कर्ज़ को रिकवर करने कर लिए अपने करजधारकों के साथ कानूनी लड़ाई लड़ने से इस लिए गुरेज करती हैं क्योंकि उन्हें पता है कि भारतीय न्यायालय में उन्हें अपनी रकम को रिकवर करने में लंबा वक्त लग जायेगा और उन्होंने खुद भी RBI (रिज़र्व बैंक ऑफ इंडिया) के कई नियमों का उल्लंघन कर ज़रूरत से ज़्यादा ब्याज पहले से ही लगा रखा होता है। इसलिए सभी बैंक और NBFC कंपनी रिकवरी माफिया के गुंडों और बदमाशों का सहारा लेती है तांकि उन्हें अदालत के चक्कर काटे बिना ही आसानी से उनका पूरा पैसा उन्हें वापिस मिल जाए। जबकि उनकी यह प्रकिया पूरी तरह से असवैधानिक और गैर-कानूनी है और करजधारक अपने अधिकारों के प्रति पूरी तरह से जागरूक न होने की वजह से इन रिकवरी माफिया का आसानी से शिकार भी हो जाते हैं। एक सरकारी बैंक के अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर खुलासा किया कि कोई भी बैंक या फिर NBFC कंपनी द्वारा ज़्यादातर रिकवरी माफिया उन लोगों के पीछे लगाया जाता है जिनके कर्ज़ की रकम 2 करोड़ रुपये से कम की होती है जबकि 2 करोड़ से ऊपर वाले करजधारकों को बैंक ख़ुद ही कुछ भी कहने से डरता है क्योंकि 2 करोड़ के ऊपर वाले करजधारकों की प्रोफाइल सामाजिक स्तर पर इतनी मजबूत होती कि रिकवरी माफिया खुद भी उनपर हाथ डालने से अक्सर डरता रहता है।
हमारे देश में अनधिकृत व फ़र्ज़ी थर्ड पार्टी रिकवरी एजेंटो का एक जाल सा फैल गया है जो बैंकों या फिर NBFC कंपनी से करजधारक ग्राहकों का डाटा लेकर कमीशन के बेस पर रिकवरी का काम करते हैं। फ़र्ज़ी नम्बरों से कॉलिंग कर करजधारकों को धमकियां, गालियाँ या फिर कानूनी कार्रवाई का डरावा देकर पैसे निकलवाने की भरपूर व लगातार कोशिश करते हैं जबकि यह काम बैंक खुद नहीं कर सकता क्योंकि बैंक या फिर NBFC कम्पनी को यह अच्छी तरह से पता होता है कि उसे अपने एक दायरे में रहकर ही रिकवरी का काम करना होगा जबकि थर्ड पार्टी रिकवरी एजेंटो के लिए कोई भी दायरा नहीं है। इसलिए वह रिकवरी करने के लिए अपनी सारी हदें पार कर जाते है क्योंकि उनके लिए न ही देश का कोई संविधान या फिर कानून कोई मायने रखता है और न ही RBI की रिकवरी को लेकर बनाई गई कोई भी गाइडलाइन्स मायने रखती है। यहां तक कि रिकवरी एजेंट कभी खुद ही वकील बन जातें है और कभी खुद ही पुलिस। पूरा सोशल मीडिया (YouTube) इन रिकवरी माफिया की ऐसी ही फ़ोन कॉल की रिकॉर्डिंग से भरा पड़ा है जिसमें यह रिकवरी माफिया करजधारकों को फ़ोन कर कैसे तंग-परेशान करते है इसकी पूरी जानकारी है। इसी के साथ ही रिकवरी एजेंट फ़र्ज़ी कोर्ट नोटिस भेजने का काम भी बेझिझक होकर धड़ल्ले से करते हैं। ज़्यादातर कमीशन बेस थर्ड पार्टी रिकवरी एजेंट करजधारकों को डराने के लिए और मानसिक तौर पर परेशान करने के लिए कभी बैंक का चीफ मैनेजर बनकर फ़ोन करते हैं तो कभी वकील बन कर और कभी-कभी तो पुलिस अधिकारी बनकर फ़ोन करने लग जाते हैं और करजधारकों को कहीं से पैसा लाकर किश्तों व लोन की भरपाई करने के लिए दबाव डालते है यहां तक कि करजधारकों को उनके व्हाट्सएप नम्बर या फिर ईमेल पर फ़र्ज़ी लीगल नोटिस भी भेजने लग जाते हैं तांकि करजधारक को डरा कर पैसे निकलवायें जा सके।