दैनिक भारती (बयूरो): आम जनता के खातों से पैसे ट्रांसफर करने के नए-नए पैंतरे शातिर साइबर अपराधी ढूंढते ही रहते हैं और लगभग उनके सभी पैंतरे काम भी कर जाते हैं। केवल इतना ही नहीं शातिर साइबर अपराधी अब OLA, Uber, Rapido, In Drive एंव PORTER जैसी एप्प का इस्तेमाल कर मनी ट्रांसफर का काम करने वाले लोगों को अपनी ठगी का शिकार भी बना रहें है और इसके साथ ही इन एप्प्स के राइडर्स भी अब इनके निशाने पर आ चुकें हैं। आपको यह सब जानकर एक बार हैरानी ज़रूर हो रही होगी मगर यह सब सच है। आइए अब हम आपको बताते हैं कि साइबर अपराधी कैसे इन सभी एप्प का गलत इस्तेमाल कर अपनी इस ठगी की वारदात को अंजाम दे रहें हैं?
सबसे पहले शातिर अपराधी इन एप्लीकेशन के माध्यम से जिसमें पार्सल बुक करने की सुविधा हो उससे पार्सल की बुकिंग करते हैं या फिर नॉर्मल राइड बुक करके राईडर्स को पार्सल उठा कर डिलीवर करने को कहते हैं और अगर राईडर्स नॉर्मल पिकअप बुकिंग के माध्यम से पार्सल उठाने से मना करता है तो उसे दुगना किराया देने का लालच देकर उसे अपने झांसे में ले लेते हैं और उसे पार्सल पिक करने को कहते हैं। जिस राइडर के पास यह बुकिंग जाती है उसको यह बोलते हैं की फलानी जगह पर एक मनी ट्रांसफर की शॉप है जहां पर उनका एक पार्सल रखा हुआ है और वहां से वह कुछ ज़रूरी दस्तावेज या फिर अन्य प्रकार का पार्सल उठाकर उसे डिलीवर कर दे। इसके बाद जिस राइडर के पास यह बुकिंग गई होती है साइबर अपराधी उस राइडर को उस जगह पर जाने के लिए कहता है। इसके बाद राइडर भी वहां पर अपनी पिकअप को उठाने के लिए पहुंच जाता है और जब पिकअप के दौरान राइडर बुकिंग करने वाले व्यक्ति को फ़ोन कर पिकउप पॉइंट पर पहुंचने की जानकारी देता है तो साइबर अपराधी बड़ी ही चतुराई से उस राइडर को कहता है कि मेरी बात उस दुकानदार से करवा दीजिए जिससे पार्सल या सामान पिकअप करना है। इसके बाद राइडर अपने पिकअप पॉइंट के दुकानदार से बात करवाता है जिस पर साइबर अपराधी उस दुकानदार को बड़ी ही चालाकी से यह कहता है की आप मेरे मोबाइल नंबर पर जल्दी से अर्जेंट तौर पर 10000 रुपए या फिर इससे ऊपर की रकम ट्रांसफर कर दीजिए मेरा यह बंदा आपके पास खड़ा है जिसको मैंने कैश रकम देकर आपके पास भेजा है कृपया जल्दी से मुझे पैसे ट्रांसफर कर दीजिए और मेरे द्वारा भेजे गए इस बंदे से पैसे ले लेना और साइबर अपराधी मनी ट्रांसफर करने वाले दुकानदार को तब तक फ़ोन पर अपनी बातों में उलझा कर रखता है जब तक दुकानदार मनी ट्रांसफर नहीं कर देता और जैसे ही मनी ट्रांसफर की सक्सेसफुल कन्फर्मेशन हो जाती है तो साइबर अपराधी तुरंत फोन काट देता है और इससे पहले कि मनी ट्रांसफर करने वाला दुकानदार किसी प्रकार की कोई तहकीकात करता है उससे पहले ही साइबर अपराधी अपनी पार्सल पिकअप की बुकिंग को भी तुरंत कैंसिल कर अपने फोन को स्विच ऑफ कर देता है और जब साइबर अपराधी को मनी ट्रांसफर कर चुका दुकानदार पिकअप उठाने आए कंपनी के राइडर से कहता है कि मैंने मनी ट्रांसफर कर पैसे डाल दिए हैं और अब आप मुझे नगद रुपए दे दीजिए तो इतना सुनते ही पार्सल का पिकअप उठाने आए राइडर के भी होश उड़ जाते है कि वह तो बुकिंग के अनुसार एक पार्सल की पिकअप उठाने आया है और यह दुकानदार उससे किस बात के पैसे मांग रहा है। तो जब वह राइडर दुकानदार से पूछता है कि वह किस बात के पैसे उससे मांग रहा है तो वह दुकानदार उसे बताता है कि पिकअप उठाने आए राइडर ने जिस बंदे से दुकानदार की फ़ोन पर बात करवाई थी उसने उस दुकानदार को यह कहकर पैसे ट्रांसफर करने के लिए बोला था के उसने अपने इस व्यक्ति (राइडर) के हाथ कैश रकम भेजी है और आप वह रकम मुझे दे दोगे। मगर जब तक राइडर और दुकानदार के बीच थोड़ी सी बहसबाजी के बाद इस सारी बात से पर्दा उठता है और असल बात निकलकर सामने आती है तब तक बहुत देर हो चुकी होती है। मनी ट्रांसफर करने वाले दुकानदार और पार्सल का पिकअप उठाने आए राइडर को इस बात का एहसास हो जाता है कि जिस व्यक्ति ने पार्सल उठाने की बुकिंग की थी वह कोई ग्राहक नहीं बल्कि एक शातिर साइबर अपराधी था जिसने अपने जाल में फंसा कर दोनों को ही अपनी ठगी का शिकार बना डाला है।
एक तरफ जहां ऐसी ठगी हो रही है वहीं दूसरी तरफ साइबर क्राइम यूनिट के एक्सपर्ट्स के मुताबिक अगर कंपनियां ऐसी धोखाधड़ी से अपने ग्राहकों व राईडर्स को बचाना चाहती है तो उन्हें अपने ग्राहकों की आईडी आधार OTP वेरीफाइड बनानी होगी। जब ग्राहक के आधार कार्ड का डाटा उसकी बुकिंग आईडी के साथ अटैच्ड हो जाएगा तो ऐसी धोखाधड़ी की घटनाओं पर लगाम लगाई जा सकती है जबकि अभी सभी ही कंपनियां मोबाइल OTP वेरीफाइड कस्टमर आईडी बना रहीं है जिसमें साइबर अपराधी फ़र्ज़ी नम्बरों के माध्यम से धड़ल्ले से अपनी अलग-अलग नामों से फ़र्ज़ी आईडी बड़ी ही आसानी से बना लेते हैं और ऐसे साइबर अपराध बढ़ रहें हैं जो सभी कंपनियों के लिए एक चिंता का विषय है।